Sunday 23 September 2012
Saturday 22 September 2012
Saturday 18 February 2012
रामभक्त अयोध्यावासी वैश्यों के आदि महापुरूष महाराजा मणिकुण्डल जी से सम्बन्धित प्रमुख तथ्य
1- मणिकुण्डल जी का जन्म महाराजा दशरथ के शासनकाल में अयोध्या के नगर श्रेष्ठि मणिकौशल (पिता) एवं शाकम्भरी (माता) के यहाँ पौष पूर्णिमा को हुआ था।
2- रामवनगमन के समय अयोध्या से चले बालक मणिकुण्डल जी की किशोरावस्था भौवन नगर में व्यतीत हुई।
3- मणिकुण्डल जी को उनके मित्र गौतम ने जिस स्थान पर अंगहीन किया था, वह स्थान पुराणों में चक्षुस्तीर्थ के नाम से उल्लिखित है। यहां विभीषण एवं उनके पुत्र वैभीषणि ने विशल्यकरणी महौषधि एवं दिव्य मंत्रों द्वारा मणिकुण्डल जी को सर्वांग सुन्दर रूप प्रदान किया था।
4- महापुर के राजा महाबली की पुत्री महारूपा का मणिकुण्डल जी ने इन्ही मंत्रों एवं विशल्यकरणी महौषधि से उपचार किया था। तदुपरान्त यही महारूपा उनकी पत्नी बनी और वे महापुर के राजा बने। राजा बनने के पश्चात् वे पत्नी सहित श्री राम के दर्शन करने अयोध्या गये थे।
आपके शासन काल में राज्य में साहित्य, संस्कृति, संगीत काव्यकला युद्धकला वास्तुवेद अभियान्त्रिक एवं ज्ञान विज्ञान का समुचित विकास हुआ।
5- मणिकुण्डल जी के पश्चात् उनके पुत्रों मणि एवं मणिक ने सफलतापूर्वक राज्य किया।
मणिकुण्डल जी को तिल, संतरा एवं खीर विशेष प्रिय थे।
सन्दर्भ ग्रन्थ :-
1-ब्रह्मपुराण
2- वैश्याणाम गौरवः
3-श्री अयोध्यावासी वैश्यों का इतिहास
4-वैश्य समुदाय का इतिहास
2- रामवनगमन के समय अयोध्या से चले बालक मणिकुण्डल जी की किशोरावस्था भौवन नगर में व्यतीत हुई।
3- मणिकुण्डल जी को उनके मित्र गौतम ने जिस स्थान पर अंगहीन किया था, वह स्थान पुराणों में चक्षुस्तीर्थ के नाम से उल्लिखित है। यहां विभीषण एवं उनके पुत्र वैभीषणि ने विशल्यकरणी महौषधि एवं दिव्य मंत्रों द्वारा मणिकुण्डल जी को सर्वांग सुन्दर रूप प्रदान किया था।
4- महापुर के राजा महाबली की पुत्री महारूपा का मणिकुण्डल जी ने इन्ही मंत्रों एवं विशल्यकरणी महौषधि से उपचार किया था। तदुपरान्त यही महारूपा उनकी पत्नी बनी और वे महापुर के राजा बने। राजा बनने के पश्चात् वे पत्नी सहित श्री राम के दर्शन करने अयोध्या गये थे।
आपके शासन काल में राज्य में साहित्य, संस्कृति, संगीत काव्यकला युद्धकला वास्तुवेद अभियान्त्रिक एवं ज्ञान विज्ञान का समुचित विकास हुआ।
5- मणिकुण्डल जी के पश्चात् उनके पुत्रों मणि एवं मणिक ने सफलतापूर्वक राज्य किया।
मणिकुण्डल जी को तिल, संतरा एवं खीर विशेष प्रिय थे।
सन्दर्भ ग्रन्थ :-
1-ब्रह्मपुराण
2- वैश्याणाम गौरवः
3-श्री अयोध्यावासी वैश्यों का इतिहास
4-वैश्य समुदाय का इतिहास
Subscribe to:
Posts (Atom)